Monday, September 24, 2012

वो लड़की मुझे आज भी दीवानी लगाती है ||

ऐसा नहीं की कोई भी अपना नहीं मिला |
तन्हा रातो में पड़ सके जिसे वो चेहरा नहीं मिला ||

मिले बहुत यहाँ फूलों को भौंवरे मगर |
जो फूलों का दर्द पढ़ सके, वो भौवरा नहीं मिला ||

किसी पत्थर का पिघल जाना यहाँ मुमकिन न हो सका |
लाख कोशिशों के बाद भी वो पत्थर दिल न पिघल सका ||

हम उन रातो में अक्सर रो जाया करते थे |
जिन रातो में वो खुशियाँ मनाया करते थे ||

अब हम मोहब्बत के गीत गया करते हैं |
वो सुन-सुन के रो जाया करते हैं ||

अपनी अदाओं में वो अब भी इतना गुरुर रखती है |
हम जब भी उन्हें देखते है, वो नजरे झुका लिया करती हैं ||

उसकी ये अदा मुझे अब भी सुहानी लगाती हैं |
वो लड़की मुझे आज भी दीवानी लगाती है ||