ग़ालिब (मैं) तेरी हर अदा में यूँ मरता रहा |
तू उम्र भर हुसन बदलती रही |
मैं जिंदगी भर यूँ ही तड़पता रहा ||
वक्त के थमने का इंतजार क्यों करते हो | छोड़ चला हो जो बीच राह मे, उसे प्यार क्यों करते हो || अपनी कमियो को अपनी ताकत बना के देखो , सर झुकायेगी ये दुनिया जिस मे तुम जीने को डरते हो ||..||